675 bytes added,
10:46, 18 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विद्यापति
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>
हे हर मन द करहुँ प्रतिपाल,
सब बिधि बन्धलहुँ माया जाल।
हे हर मन ...........................।
सब दिन रहलहुँ अनके आस,
अब हम जायब केकरा पास।
हे हर मन ..........................।
बीतल बयस तीन पल मोरा,
धयल शरण शिव मापन तोरा।
हे हर मन .........................।
</poem>