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<poem>
अति सूख सुरत किये ललना संग जात समद मन्मथ सर जोरे ।
राती उनीदे अलसात मरालगती गोकुल चपल रहतकछु थोरे ।
मनहू कमलके को सते प्रीतम ढुंडन रहत छपी रीपु दल दोरे ।
सजल कोप प्रीतमै सुशोभियत संगम छबि तोरपर ढोरे ।
मनु भारते भवरमीन शिशु जात तरल चितवन चित चोरे ।
वरनीत जाय कहालो वरनी प्रेम जलद बेलावल ओरे ।
सूरदास सो कोन प्रिया जिनी हरीके सकल अंग बल तोरे ॥
</poem>
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