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धनि यह वृन्दावन की रैनु / सूरदास
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14:19, 21 मई 2014
<poem>
धनि यह वृन्दावन की रैनु।
नंदकिसोर
चरा
चरावे
गैयां बिहरि बजावे बैनु॥
मनमोहन कौ ध्यान धरै जो अति सुख पावत चैनु।
चलत कहां मन बसहिं सनातन जहां लैनु नहीं दैनु॥
Sharda suman
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