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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र जोशी |संग्रह=मौन से बतक...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=मौन से बतकही / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>हंसते और सयाने
चुहल करते
सुबह से साँझ
मेरी कोठरी में
अप-डाउन करते
बिना रोक-टोक
रेडलाइट एरिया के बच्चे
अचानक चलते-चलते
आते हैं मेरी कोठरी में

मना करने पर भी
पैताने बैठकर
पाँव दबाते मुखर होकर
आँखों पर सलवटें लाकर
आसुँओं को पीकर
बिना मुँह खोले
सबकुछ बयां करते/ सयाने से बच्चे
हँसते और सयाने से बच्चे
अपने घर की
चार दीवारी की परतों को खोलते
हँसते और सयाने
रेड लाइट एरिया के बच्चे
</poem>
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