624 bytes added,
18:33, 21 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=मौन से बतकही / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>साल दर साल जोड़े
सदी बन गई
सांसो को जोड़ा जब
सुर बन गया
मन टूटे तो
देश बन गए
सीमाएं बन गईं
ईंट-ईंट जोड़ कर
इमारत बन गई
ईंटें जुड़ जाती हैं
क्यों नहीं जुड़ते मन
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader