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18:35, 21 मई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र जोशी
|संग्रह=मौन से बतकही / राजेन्द्र जोशी
}}
{{KKCatKavita}}<poem>सड़क का टोटा है
रेत के समंदर में
गुनगुनी रेत
सड़क के बीचांेबीच
अपना हक जताती
और
सड़क सूरत बदलती है
नंगे पाँवों को सुकून
और अपनापन देती
रास्ते की दीठ देती
धोरों की रेत
अहिंसक होती है
यह समुद्री रेत
</poem>