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कृष्णप्रेयसी कान्तागण में / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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महामानिनी, बिमल, वियोगिनि, नित प्रियतमसहिता राधा॥
उज्ज्वल दिव्य त्याग अनुपम की परमादर्श मूर्ति राधा।
दुर्लभ कृष्ण-प्रेम की नव-नव सहज विचित्र
श्रींगारित
स्फुरित
राधा॥
</poem>
Mani Gupta
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