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09:35, 2 जून 2014 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
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|संग्रह=पद-रत्नाकर / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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<poem>
(राग तिलककामोद ताल कहरवा)
करतलसों ताली देत, राम मुख बोली।
बस जली तुरत पातक-पुञ्जोंकी होली॥
</poem>