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एक रंगमहल की खूँट / खड़ी बोली

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'''{{KKGlobal}}{{KKLokRachna|रचनाकार}} एक रंगमहल की खूँट <br>
जिसमें कन्या नै जनम लिया ।<br>
एक रंगमहल की खूँट<br>
जिसमें कन्या नै जनम लिया ।<br>
बाबा तुम क्यों हारे हो<br>
दादसरा म्हारा जीत चला ।<br>
एक रंगमहल की खूँट…………<br>