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अंतहीन / सुलोचना वर्मा
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01:14, 14 जून 2014
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ये कैसा
हूनर
हुनर
है तुम्हारा
की
कि
बहते हुए को बचाकर
सहारा देते हो
और फिर बहा देते हो उसे
Sharda suman
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