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हक दो / केदारनाथ सिंह

17 bytes added, 07:53, 22 जून 2014
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|रचनाकार=केदारनाथ सिंह
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फूल को हक दो, वह हवा को प्यार करे,
ओस, धूप, रंगों से जितना भर सके, भरे,
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