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मनके / पूर्णिमा वर्मन

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|रचनाकार=पूर्णिमा वर्मन
}}
[[Category:गीत]]{{KKCatGeet}}<poem>टुकड़े टुकड़े टूट जाएँगे <br>मन के मनके<br>दर्द हरा है<br>ताड़ों पर सीटी देती हैं <br>गर्म हवाएँ<br>जली दूब-सी तलवों में चुभती<br>यात्राएँ<br>पुनर्जन्म ले कर आती हैं<br>दुर्घटनाएँ<br>धीरे-धीरे ढल जाएगा<br>वक्त आज तक <br>कब ठहरा है?<br>गुलमोहर-सी जलती है<br>बागी़ ज्वालाएँ<br>देख-देख कर हँसती हैं<br>ऊँची आशाएँ<br>विरह-विरह-सी भटक रहीं सब<br>प्रेम कथाएँ<br>आज सँभाले नहीं सँभलता<br>जख़्म हृदय का<br>कुछ गहरा है<br><br/poem>
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