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|रचनाकार=पूर्णिमा वर्मन
}}
[[Category:गीत]]{{KKCatGeet}}<poem>शहर की हवाओं में<br>कैसी आवाज़ें हैं<br>लगता है <br>गाँवों में कोयलिया बोली<br>नीलापन हँसता है<br>तारों में <br>फँसता है<br>गगन की घटाओं में <br>कैसी रचनाएँ हैं<br>लगता है <br>धरती पर फगुनाई होली<br>सड़कों पर नीम झरी<br>मौसम की <br>उड़ी परी<br>धरती के आँचल में<br>हरियल मनुहारें हैं <br>लगता है <br>यादों ने कोई गाँठ खोली<br><br/poem>
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