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|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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<poem>
हाथी मामा पहिन पजामा,
पहुंच गये स्कूल|
जैसे ही पढ़ने वह बैठे,
टूट गया स्टूल|

चित्त गिरे धरती पर मामा,
कुछ भी समझ न पाये|
पसर गये फिर धीरे धीरे,
पैरों को फैलाये|

जैसे तैसे दो चूहों ने,
मिलकर उन्हें उठाया|
गरम गरम काफी का प्याला,
लाकर एक पिलाया|</poem>
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