1,371 bytes added,
18:23, 29 जून 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>
मुझे कहानी अच्छी लगती
कविता मुझको बहुत सुहाती
पर मम्मी की बात छोड़िये
दादी भी कुछ नहीं सुनातीं
पापा को आफिस दिखता है
मम्मी किटी पार्टी जातीं
दादी राम राम जपती हैं
जब देखो जब भजन सुनातीं
मुझको क्या अच्छा लगता है
मम्मी कहां ध्यान देती हैं
सुबह शाम जब भी फुरसत हो
टी वी से चिपकी रहती हैं
कविता मुझको कौन सुनाये
सुना कहानी दिल बहलाये
मेरे घर के सब लोगों को
बात जरा सी समझ न आये
कोई मुझ पर तरस तो खाओ
सब के सब मेरे घर आओ
मम्मी पापा और दादी को
ठीक तरह से समझाओ</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader