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कलयुग के मुर्गे / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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05:26, 30 जून 2014
हो सकता है अब ये मुर्गे,
देर रात तक जाग रहे हों
,
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कम्पूटर टी वी के पीछे,
पागल होकर भाग रहे हों|
पर पश्चिम की यही नकल तो,
हमको लगती है दुखदाई|
, |
भूले अपने संस्कार क्यों,
हमको अक्ल जरा न आई|
यही बात कोयल कौये से,
Mani Gupta
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