1,357 bytes added,
17:25, 30 जून 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= संस्कारपरक गीत / मैथिली लोकगीत
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>
एक तऽ हम धनि पातरि, दोसर गरभ संओ रे
ललना रे, तेसर पिया केर दुलारि, दर्द कोना सहब रे
उठू-उठू नन्दो, दिया लेसू, बाबा के जगाबहु रे
बाबू यौ तोरो पुतहु दरदे बेयाकुल, दगरिन चाही रे
एहि बेर जँओ प्राण बांचत, देव सुख बूझब रे
ललना रे, फेरू ने करब एहन काज, पलंग भीर जायब रे
एहि अवसर पिया पबितहुँ, जुलफी पकड़ितहुँ रे
ललना रे, बन्हितहुँ चंपा फूल डाड़ि, ताहि तर कहितहुँ रे
भेल भिनसर पह फाटल, होरिला जनम लेल रे
ललना रे, गाबय सब सोहर, कि ननदो बधैया माँगय रे
</poem>