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18:41, 30 जून 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= संस्कारपरक गीत / मैथिली लोकगीत
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>लाल-पीयर केर माड़ब
पाने-पत्र छारल हे
ताहि माड़ब बैसला बाबा
कि ऐहब बाबी हे
कोरा भय बैसला बरुआ
कि लाल जनउ दिअ हे
रहू बाबू रहू बाबू बरुआ,
कि लाल जनउ देब हे
आइ होयब अहाँ ब्राह्मण
कि पियर जनौआ देब हे
वियाहसँ द्विरागमन धरिक
विभिन्न उत्सव-गीत
आम-महुवियाह काल
</poem>