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18:51, 30 जून 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>परिछन करय हरषि चलू सजनी गे
दुलहा अवध किशोर सजनी गे
जिनकर रूप मन हरलक सजनी गे
जग भरि भेल अति शोर सजनी गे
देखैत फूल सन सुन्दर सजनी गे
तोड़लनि धनुष कठोर सजनी गे
जे विधि सिया निरमाओल सजनी गे
विधना लगाओल जोर सजनी गे
दुलहा परीछि मंडप चलू सजनी गे
देखि देखि चयन विभोर सजनी गे
परिछन चलू हरषि कय सजनी गे
अरीछि परीछि अवध किशोर सजनी गे
</poem>
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