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19:00, 30 जून 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>कोने सार बेसाहल पान गे माइ
किनका बहिन के बड़ैबा नेने जाइ
अपन सार बेसाहल पान गे माइ
पाहुन बहिन के बड़ैबा नेने जाइ
अहाँ सभ देबनि तऽ दियनु
सिया के कोना देब गारि हे
हमरा तऽ लगता ओ सरोकारी हे
अपन सार बेसाहल सुपारी गे माइ
पाहुन बहिन केँ बनियाँ नेने जाइ
</poem>
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