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09:56, 1 जुलाई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>फूल लोढ़य गेली गौरी माली फुलबारी
दस-पाँच सखि गौरी लेल संग साथी
बसहा चढ़ल आबय शंकर भिखारी
ककर अलारी, ककर दुलारी
ककरा हुकुमे अयली फुलबारी
भैया के अलारी गौरी, बाबा के दुलारी
अम्मा के हुकुमे गोरी, अयली फुलबारी
एक खोंइछा लोढ़ल गौरी, अयली फुलबारी
एक खोंइछा लोढ़ल गौरी, दुइ खोंइछा लोढ़ल
तेसर लोढ़इते गौरी गेली रिसिआइ
कि शिव फुल देलनि छिड़िआइ
कनइते खिजइते गौरी अम्मा आगू ठाढ़ भेली
के तोरा मारल, के पढ़ल गारि
के तोरा आहे गौरी देल फूल छिड़िआय
हमरो मुख अम्मा कहलो ने जाइ
के छिड़िआओल फूल, कहितो लजाइ
बसहा चढ़ल एक आयल भिखारी
बएह बुढ़ा बाजल-भूखल, कयल झिकझोर
लोढ़ल फूल सेहो अम्मा, देल छिड़िआइ
</poem>