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14:26, 2 जुलाई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>आसन पर बैसू गिरधारी सुनू विनती हमारी जी
थारी मे भात सांठल अछि बाटी मे दालि राखल
ताहि ऊपर धृत ढ़ारी, सुनू विनती हमारी जी
ओल - परोर बड़ी - बड़ भटबड़
तरह-तरह तरकारी, सुनू विनती हमारी जी
तरल रहू मांगुर झोराओल
छागर मारि कयलनि, ससुर तइयारी जी
कहथि विद्यापति विनती रुचिसँ जेम लालन
भेटली राधा सन प्यारी, विनती हमारी
</poem>