1,224 bytes added,
14:56, 2 जुलाई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|भाषा=मैथिली
|रचनाकार=अज्ञात
|संग्रह= बियाह सँ द्विरागमन धरिक गीत / मैथिली लोकगीत संग्रह
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>घर पछुअरबामे लौंग केर गछिया
ताहि तर फल्लां दुलहा ठाढ़ हे
केओ अरेखनि केओ परेखनि
केओ पुछनि निज बात हे
माय अरेखनि बाबू परेखनि
काका पुछनि निज बात हे
किए तोरा आहे बाबू बाजन थोर भेल
किए भेल कम बरिआत हे
नहि मोरा आहे काका बाजन थोर भेल
नहि मोरा कम बरिआत हे
गंगाक ओहि पार बसथि बहिनियाँ
बहिनि के दीअ ने मंगाय हे
अओतीह बहिनियाँ छेकती मोर छुअरिया
पूरि जायत मन-अभिलास हे ....
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader