1,031 bytes added,
05:56, 10 जुलाई 2014 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हनुमानप्रसाद पोद्दार
|अनुवादक=
|संग्रह=पद-रत्नाकर / भाग- 4 / हनुमानप्रसाद पोद्दार
}}
{{KKCatPad}}
<poem>अतुल अनन्त अचिन्त्य सद्गुणों के शुचितम शुभ आकर।
असुर-दैत्य-तम-निशा-विनाशक रवि-कुल-कमल-दिवाकर॥
साधु-धर्म-संरक्षण-संबर्धन-हित नित्य धनुर्धर।
अखिल विश्वगत प्राणिमात्र के सहज समर्थ सुहृदवर॥
मात-पिता-गुरुभक्ति अनुत्तम भ्रातृ-स्नेह-रत्नाकर।
राम स्वयं भगवान अकारण-करुण भक्त-भव-भयहर॥
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader