Changes

नभ दृग में मोती झलका
सिमट गया सन्ध्या सिन्दूर
दिन की
अभिव्यक्ति पर लगा अनबूझी रात का
विराम !
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,594
edits