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अंक में झूला / दीनदयाल शर्मा

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<poem>मम्मी मुझको अंक में लेना,
अंक में लेकर झूला देना

भूख लगे तो मुझको मम्मी,
मीठा मीठा दूध पिलाना.

रूठूँ तो तुम मुझे मनाना,
झूला मुझको लगे सुहाना.

मैं रोऊँ तो लाड लडाना,
खेलूं तो मुझे खेल खिलाना.

कैसी बातें करूँ मैं किससे,
मम्मी तुम मुझको बतलाना .

रात को सोने से पहले तुम,
नई कहानी मुझे सुनाना.

जब मुझको निंदिया आये तो
लोरी गाकर मुझे सुलाना.

ये बातें तुम भूल न जाना,
नहीं चलेगा कोई बहाना.

भूल गई तो करूँ शिकायत,
मेरे प्यारे नानी नाना..</poem>
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