Changes

मैं तो धरती के प्राँगण में खुलकर खेलूँगा
चौकड़ी भरूँगा हिरनी -सा वन-प्रान्तर में
नापूँगा पहाड़ों की दुर्गम चोटियाँ
अँधेरे को नाथकर चाँद से बातें करूँगा
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,466
edits