Changes

जय बोल बेईमान की / काका हाथरसी

238 bytes removed, 05:51, 18 सितम्बर 2014
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>मन, मैला, तन ऊजरा, भाषण लच्छेदार,<br>ऊपर सत्याचार है, भीतर भ्रष्टाचार।<br>झूटों के घर पंडित बाँचें, कथा सत्य भगवान की,<br>जय बोलो बेईमान की !<br><br>
प्रजातंत्र के पेड़ पर, कौआ करें किलोल, <br>टेप-रिकार्डर में भरे, चमगादड़ के बोल। <br>नित्य नई योजना बन रहीं, जन-जन के कल्याण की, <br>जय बोल बेईमान की !<br><br>
महँगाई ने कर दिए, राशन-कारड फेस <br>पंख लगाकर उड़ गए, चीनी-मिट्टी तेल।<br>‘क्यू’ में धक्का मार किवाड़ें बंद हुई दूकान की, <br>जय बोल बेईमान की !<br><br>
डाक-तार संचार का ‘प्रगति’ कर रहा काम, <br>कछुआ की गति चल रहे, लैटर-टेलीग्राम। <br>धीरे काम करो, तब होगी उन्नति हिंदुस्तान की, <br>जय बोलो बेईमान की !<br><br>
दिन-दिन बढ़ता जा रहा काले घन का जोर, <br>डार-डार सरकार है, पात-पात करचोर। <br>नहीं सफल होने दें कोई युक्ति चचा ईमान की, <br>जय बोलो बेईमान की !<br><br>
चैक केश कर बैंक से, लाया ठेकेदार, <br>आज बनाया पुल नया, कल पड़ गई दरार।<br>बाँकी झाँकी कर लो काकी, फाइव ईयर प्लान की, <br>जय बोलो बईमान की !<br><br>
वेतन लेने को खड़े प्रोफेसर जगदीश, <br>छहसौ पर दस्तखत किए, मिले चार सौ बीस। <br>मन ही मन कर रहे कल्पना शेष रकम के दान की, <br>जय बोलो बईमान की !<br><br>
खड़े ट्रेन में चल रहे, कक्का धक्का खायँ, <br>दस रुपए की भेंट में, थ्री टायर मिल जायँ। <br>हर स्टेशन पर हो पूजा श्री टी.टी. भगवान की, <br>जय बोलो बईमान की !<br><br>
बेकारी औ’ भुखमरी, महँगाई घनघोर, <br>घिसे-पिटे ये शब्द हैं, बंद कीजिए शोर। <br>अभी जरूरत है जनता के त्याग और बलिदान की, <br>जय बोलो बईमान की !<br><br>
मिल-मालिक से मिल गए नेता नमकहलाल, <br>मंत्र पढ़ दिया कान में, खत्म हुई हड़ताल। <br>पत्र-पुष्प से पाकिट भर दी, श्रमिकों के शैतान की, <br>जय बोलो बईमान की !<br><br>
न्याय और अन्याय का, नोट करो जिफरेंस, <br>जिसकी लाठी बलवती, हाँक ले गया भैंस। <br>निर्बल धक्के खाएँ, तूती होल रही बलवान की, <br>जय बोलो बईमान की !<br><br>
पर-उपकारी भावना, पेशकार से सीख, <br>दस रुपए के नोट में बदल गई तारीख। <br>खाल खिंच रही न्यायालय में, सत्य-धर्म-ईमान की, <br>जय बोलो बईमान की !<br><br> नेता जी की कार से, कुचल गया मजदूर, <br>बीच सड़कर पर मर गया, हुई गरीबी दूर। <br>गाड़ी को ले गए भगाकर, जय हो कृपानिधान की, <br>
जय बोलो बईमान की !
 
नेता जी की कार से, कुचल गया मजदूर,
बीच सड़कर पर मर गया, हुई गरीबी दूर।
गाड़ी को ले गए भगाकर, जय हो कृपानिधान की,
जय बोलो बईमान की!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,130
edits