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नर्क का तर्क / काका हाथरसी

103 bytes added, 06:02, 18 सितम्बर 2014
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=|अनुवादक=|संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poem> स्वर्ग-नर्क के बीच की चटख गई दीवार । दीवार। कौन कराए रिपेयर इस पर थी तकरार ॥तकरार॥
इस पर थी तकरार, स्वर्गवासी थे सहमत । सहमत। आधा-आधा खर्चा दो हो जाए मरम्मत ॥मरम्मत॥
नर्केश्वर ने कहा – गलत है नीति तुम्हारी । तुम्हारी। रंचमात्र भी नहीं हमारी जिम्मेदारी ॥जिम्मेदारी॥
जिम्मेदारी से बचें कर्महीन डरपोक । डरपोक। मान जाउ नहिं कोर्ट में दावा देंगे ठोंक ॥ठोंक॥
दावा देंगे ठोंक ? नरक मेनेजर बोले । बोले। स्वर्गलोक के नर नारी होते हैं भोले ॥भोले॥
मान लिया दावा तो आप ज़रूर करोगे । करोगे। सब वकील हैं यहाँ, केस किस तरह लड़ोगे ॥लड़ोगे॥</poem>
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