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व्यर्थ / काका हाथरसी

1 byte added, 06:38, 18 सितम्बर 2014
कहँ ‘काका' कविराय, नाम कुछ रोशन कर जा ।
मरना तो निश्चित है करज़ा लेकर मर जा॥
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