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सपने-1 / रमेश रंजक
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07:44, 23 सितम्बर 2014
क्रियाओं को देखते हुए
अपनी हदों में
मछलियोम
मछलियों
से तैरते हैं
आँखें खुलते ही
न जाने कहाँ बिला जाते हैं ?
अनिल जनविजय
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