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दिल की हर धड़कन है बत्तिस मील में / 'अना' क़ासमी
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09:37, 23 नवम्बर 2014
कुछ रहीने मय<ref>शराब की अहसानमंद</ref> नहीं मस्ते ख़राम,
सब नशा है सैण्डिल की हील में ।
यार किहकर मेरी सिगरेट खेंच ली
किस क़दर बिगड़े हैं बच्चे ढील में ।
यक-ब-यक लहरों में दम-सी आ गई,
वीरेन्द्र खरे अकेला
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