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ईर्ष्या / विमल राजस्थानी
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08:18, 24 नवम्बर 2014
था रहा हेरता तृषित नयन से तपन गगन का तीखा
इस ओर दुग्ध-सर में प्रसन्न मन डूबा शीश धरती का
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आशिष पुरोहित
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