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कहो तो लौट जाते हैं / वसी शाह
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18:13, 28 नवम्बर 2014
मुझे मालूम है इतना के दामें-ज़िन्दगी पोशीदा है इन चार क़दमों में
बहुत सी राहतें मुज्मिर है इन दुश्वार रस्तों में
मेरे बारे न कुछ
सोचो…
सोचो
तुम अपनी बात बतलाओकहो तो चलते रहते हैंकहो तो लौट जाते हैं
कहो तो लौट जातें हैं...
</poem>
Sharda suman
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