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यादों की गंध / किशोर काबरा
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10:15, 4 दिसम्बर 2014
{{KKRachna
|रचनाकार=किशोर काबरा
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
शब्दों का कद कितना छोटा है
फिर भी वे
काँटे में फाँस रहा
तट का विश्रांत।
</poem>
Sharda suman
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