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इष्ट रही हमरी सदा, एक सुन्दरी जोय।
हाय हाय कवि जानकी, अन्त कहा गति होय।।90।।
 
दया सिन्धु जो लहर में, बौरौ तुमहिं हिलोर।
तौ हमरौ कवि जानकी, कहौ कौन है जोर।।91।।
 
</poem>
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