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(भावनाओं के रिश्ते में रचा आमंत्रण , जो देवता, प्रकृति के समस्त उपादान , स्वजनों के साथ - साथ सभी वर्ग एवं वर्ण के उन सभी लोगों को आमंत्रित करता है जो किसी न किसी नाते सहयोगी बनकर जीवन में आते हैं.)
[[Category:लोकगीत]]<poem>
प्रात जो न्युतुं में सुरीज, सांझ जो न्युतुं में चन्द्रमा
समायो बधIये न्युतिये , आज बधIये न्युतिये I
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