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05:17, 27 फ़रवरी 2015 {{KKGlobal}}
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म्हैं ई सायत्
नीं जाणू
कियां खंखौळीजै सबद
अर बां सूं निपजण आळी भासा
भासा रो अरथ
जद‘ई तो
भीड़ मांय भचीड़ा मारता आखर
माईका सूं भड़भड़ावता सबद
म्हारै कानां मांय
मुवाळ रै तीखै टुकड़ा ज्यूं
बटीड़ मारता रै
अर म्हैं सैंगमैंग हुयौ
भीड़ सूं भाग
अेकदम अळगो
सड़क रै कनारै
पेड़ रै तणै नै
काठो पकड़लू
अर झौबाझौब हुयौ
भीड़ रै भचीड़ा सूं
उबरणै रै गेरै अैसास मांय
डूबणौ चाऊ
अर हुवणौ चाऊ अैकमैक
हरहरावतै पत्ता रै संगीत सागै
ठैठ उण्डै तांई
नीं सई भीड़ रा सबद
खंखौळणा
या क गौखणा
मनै नीं आया
नीं सई
म्हैं पत्तां रै संगीत मांय‘ई
जौवूला
म्हैं-जड़ा री गूंज मांय जोवूला
बै सबद
बा भासा
जकी मन गैरै सूं
अैसास करासी
म्हारै हौवणै रो
अर करसी मदद
बणयौडी पगडाण्डायां रै खनै सूं बणावण मांय
नूंवी पगडाण्डी नूवां मारग
</poem>
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