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'हो, रात के मुसाफिर तू भागना संभल के पोटली में तेरी ह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
हो, रात के मुसाफिर तू भागना संभल के
पोटली में तेरी हो आग ना संभल के - (२)

रात के मुसाफिर....

चल तो तू पड़ा है
फासला बड़ा है
जान ले अँधेरे के सर पे ख़ून चढ़ा है - (२)

मुकाम खोज ले तू
मकान खोज ले तू
इंसान के शहर में इंसान खोज ले तू

देख तेरी ठोकर से
राह का वो पत्थर
माथे पे तेरे कस के
लग जाये ना उछल के

हो, रात के मुसाफिर....

माना की जो हुआ है
वो तूने भी किया है
इन्होंने भी किया है
उन्होंने भी किया है

माना की तूने... हाँ, हाँ
चाहा नहीं था लेकिन
तू जानता नहीं कि ये कैसे हो गया है

लेकिन तू फिर भी सुनले
नहीं सुनेगा कोई
तुझे ये सारी दुनिया
खा जाएगी निगल के - (२)

हो, रात के मुसाफिर तू भागना संभल के
पोटली में तेरी हो आग ना संभल के