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मनुष्यता / मैथिलीशरण गुप्त
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06:06, 11 मार्च 2015
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<poem>
विचार लो कि
मत्र्य
मर्त्य
हो न मृत्यु से डरो कभी¸
मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी।
हुई न यों सु–मृत्यु तो वृथा मरे¸ वृथा जिये¸
Sharda suman
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