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प्रथम प्रभात / जयशंकर प्रसाद
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10:14, 2 अप्रैल 2015
आते ही कर स्पर्श गुदगुदाया हमें,
खूली आँख, आनन्द-
हृदय
दृश्य
दिखला दियामनोवेग मधुकर-सा फिर तो
गूँजके
गूँज के
,
मधुर-मधुर स्वर्गीय गान गाने लगा
सशुल्क योगदानकर्ता ३
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