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09:50, 5 अप्रैल 2015 {{KKRachna
|रचनाकार=श्रीनाथ सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
मुझे बहुत अच्छा लगता है,
फूल तुम्हारा मुस्काना।
मुझे बहुत अच्छा लगता है,
फूल तुम्हारा गुण गाना।
कड़ी धूप में देखा मैंने,
फूल तुम्हारा कुम्हलाना।|
ओस पड़ी तब समझा यह है,
आँखों में आँसू लाना।
पर यह छिन भर को होता है,
दिन भर रहता मुस्काना।
कट जाने पर लुट जाने पर,
भी हँसते हो मनमाना।
अच्छे कामों की सुगन्धि से,
मुझको जग है महकाना।
मदद मिलेगी अगर सीख लूँ,
फूल तुम्हारा मुस्काना।
</poem>