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समय क्षण-भर थमा / अज्ञेय
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समय क्षण-भर थमा सा :
फिर
तौल
तोल
डैने
उड़ गया पंछी क्षितिज की ओर :
मद्धिम लालिमा ढरकी
अलक्षित ।
अलक्षित।
तिरोहित हो चली ही थी कि सहसा
फूट तारे ने कहा : रे समय,
::तू क्या थक गया ?
रात का संगीत फिर
तिरने लगा आकाश
में ।
में।
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Sumitkumar kataria