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श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन / भजन
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10:07, 12 मार्च 2008
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् ।<br>
नवकञ्ज लोचन कञ्ज
मुखकर कञ्जपद
मुख कर कञ्ज पद
कञ्जारुणम् ॥ १॥<br><br>
कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् ।<br>
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Pkbajpai