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|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
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<poem>
जकी
बाप रै घरां
होवै भोळी-भाळी टाबर

पूगतां पाण सासरै
हो ज्यावै पूरी लुगाई
गुवाड़ी रै बोझ तळै
दब्योड़ी।
</poem>
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