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<poem>
जकी
बाप रै घरां
होवै भोळी-भाळी टाबर
पूगतां पाण सासरै
हो ज्यावै पूरी लुगाई
गुवाड़ी रै बोझ तळै
दब्योड़ी।
</poem>
आशिष पुरोहित
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