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10:22, 4 मई 2015 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
}}
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<poem>
पुराणै बेली
का रिस्तैदार सूं
मिलती बगत
याद नीं आवै
पुराणी मीठी यादां
तोड़ नीं सकै
मोजूदा झंझटा रो
घेरो।
</poem>
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