526 bytes added,
10:24, 4 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|संग्रह=धंवर पछै सूरज / निशान्त
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
भीड़ भर्यै
सै‘र अर
गांवां सूं बारै
झ्याज ज्यूं लद्या खेत
कैंवता लागै-
बावळौ, क्यूं घबराओ
अजे म्हैं नीं छोड़्यो है
निपजणो।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader