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06:03, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
}}
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<poem>
मायड़भासा स्यूं
कटेड़ो
जद-कद ई
सुणल्यूं
बीं रो कोई
भूलेड़ो-बिसरेड़ो सबद
याद आ ज्यावै
गंव-गुवाड़
घर-आंगण
बै दिन
जकां मांय पक्यै करतो
दिमाग में ओ सबद
अर म्हैं
डूबण-तिरण
लाग ज्याऊं
हरख रै
अेक समंदर में।
</poem>
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