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साथी / निशान्त

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|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
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<poem>
म्हैं लड़नो चाऊं
लूटेरा, भू-माफियां
काम चोरां अर
नजायज करणियां सूं
लड़न सारू म्हनै नीं चाइजै
बंदूक तलवार
म्हने चाइजै
साथी
पण साथी मिलणा
घणां दो‘रा
घणकरै सै लोगां रो रगत
होरयो है पाणी
कड़ हुयगी है गायब
मेरो साथ देवणों तो दूर
बै बणग्या है
मेरै दुस्मण रा भीरी।
थोड़ै - भौत लाळच खातर
मार राख्यो है जमीर
इस्यै मांय म्है जे तै‘स में
आस्यूं तो के
आत्मघात ई करस्यूं ?
</poem>
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