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09:44, 9 मई 2015 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशान्त
|अनुवादक=
|संग्रह=आसोज मांय मेह / निशान्त
}}
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<poem>
बाड़ां बाजरी
छातां घास खड़ी
खेतां धान
अर बेलां पसरी
हवा मांय काकड़ियां री
सौरम घुळी
तूड़ी-पराळी स्यूं
छूट्यो पैण्डो
धामण री कूड़ी खड़ी
धाप-धाप आवै
गायां—भैंस्या
दूध-घी री मौज बणी
आसोज नीं लागै करड़ो
मौसम मांय ठण्ड री
रळक रळी ।
</poem>
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